कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ‘हिंदुत्व’ को 1947 की मुस्लिम सांप्रदायिकता का ‘प्रतिबिंब’ करार देते हुए कहा है कि इसकी सफलता का मतलब यह होगा कि भारतीय अवधारणा (इंडियन आइडिया) का अंत हो गया | उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ‘हिंदुत्व’ कोई धार्मिक नहीं, बल्कि ‘राजनीतिक सिद्धांत’ है |
‘हिंदू आंदोलन में कट्टरता की गूंज’
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘मेरे जैसे लोग जो अपने प्यारे भारत को संजोए रखना चाहते हैं, उनकी परवरिश इस तरह हुई है कि वे धार्मिक राज्य का तिरस्कार करें.|” उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुत्व आंदोलन की जो बयानबाजी है उससे उसी कट्टरता की गूंज सुनाई देती है जिसको खारिज करने के लिए भारत का निर्माण हुआ था |
‘हिंदुत्व आंदोलन मुस्लिम सांप्रदायिकता का प्रतिबिंब’
हिंदुत्व के संदर्भ में कांग्रेस नेता इस पुस्तक में लिखते हैं, ‘हिंदुत्व आंदोलन 1947 की मुस्लिम सांप्रदायिकता का प्रतिबिंब है | इससे संबंधित बयानबाजी से उस कट्टरता की गूंज सुनाई देती है जिसे खारिज करने के लिए भारत का निर्माण हुआ था | उन्होंने कहा कि इस हिंदुत्व की सफलता का मतलब यह होगा कि भारतीय अवधारण का अंत हो गया |
इस बयान पर भी बोले थरूर
AIMIM नेता वारिस पठान के ‘भारत माता की जय’ का नारा नहीं लगाने से जुड़े विवाद का उल्लेख करते हुए थरूर ने कहा कि कुछ मुस्लिम कहते हैं कि ‘हमे जय हिंद, हिंदुस्तान जिंदाबाद, जय भारत कहने के लिए कहिए, लेकिन ‘भारत माता की जय’ कहने के लिए मत कहिए’ | उन्होंने कहा, ‘यह संविधान हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आजादी देता है और हमें चुप रहने की भी आजादी देता है| हमें दूसरों के मुंह में अपने शब्द नहीं डाल सकते |