ट्रल विस्टा परियोजना को लेकर उच्चत्तम न्यायालय में दायर याचिकाओं पर 17 जुलाई को सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका भी शामिल है जिसमें कहा गया था कि दिल्ली विकास प्राधिकरण को सेंट्रल विस्टा परियोजना को अनुमति देने के लिए मास्टर प्लान में परिवर्तनों को अधिसूचित करने से पहले उसको सूचित करने की जरूरत नहीं थी।
शीर्ष अदालत ने 19 जून को कहा था कि केंद्र सरकार की परियोजना के लिए अधिकारियों द्वारा जमीनी स्तर पर किए गए कोई भी बदलाव ‘उनके अपने जोखिम पर होगा।’ न्यायालय ने साफ कर दिया था कि परियोजना का भाग्य उसके फैसले पर निर्भर होगा।
अदालत को पहले बताया गया था कि दो अधिसूचनाएं जारी की गई हैं। पहला भूमि उपयोग परिवर्तन से संबंधित और दूसरा परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी देने से जुड़ी हुई थी। केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि परियोजना को जरूरी मंजूरी देने में किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने उसकी एकल न्यायाधीश वाली पीठ के आदेश पर 28 फरवरी को रोक लगा दी थी, जिसमें डीडीए से केंद्र की सेंट्रल विस्टा को फिर से विकसित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना पर आगे बढ़ने से पहले मास्टर प्लान में किसी तरह के बदलाव से पहले अदालत का रुख करने को कहा था।
डीडीए और केंद्र की अंत: अदालती अपील पर एकल न्यायाधीश की पीठ के 11 फरवरी के निर्देश पर उच्च न्यायालय ने यह रोक लगाई थी।