बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम से एक तरफ जहां एनडीए गदगद नजर आ रही है तो वहीं महागठबंधन के खेमे में उदासी छाई हुई है। एग्जिट पोल के बाद महागठबंधन के नेता बिहार में राजद नेता तेजस्वी यादव की अगुवाई में सरकार बनाने का ख्वाब देख रहे थे लेकिन चुनाव परिणामों ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। मंगलवार का दिन एनडीए के लिए शुभ घड़ी लेकर आया जिससे बिहार में एक बार एनडीए की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया।
इसी बीच बीजेपी नेता और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने नीतीश कुमार के अगले मुख्यमंत्री होने की बात कहते हुए कहा कि “मैं बिहार की जनता को चौथी बार एनडीए के ऊपर अपना विश्वास प्रकट करने के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा। हिंदुस्तान की राजनीति में बहुत कम सीएम होंगे जिनपर चौथी बार जनता ने भरोसा जताया हो। बिहार की जनता ने एनडीए गठबंधन को स्पष्ट जनादेश दिया है, इसमें कोई कन्फ्यूजन नहीं है।”
सत्तारूढ़ गठबंधन ने बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 125 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि विपक्षी महागठबंधन ने 110 सीटें जीतीं। इसके साथ ही कुमार के लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की राह साफ हो गई है। हालांकि इस बार उनकी पार्टी जदयू को 2015 जैसी सफलता नहीं मिली है। जदयू को 2015 में मिली 71 सीटों की तुलना में इस बार 43 सीटें ही मिली हैं। उस समय कुमार ने लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव जीता था।
इस बार राजद 75 सीटें अपने नाम करके सबसे बड़ी एकल पार्टी के रूप में उभरी है। मतगणना के शुरुआती घंटों में बढ़त बनाती नजर आ रही बीजेपी को 16 घंटे चली मतों की गणना के बाद 74 सीटों के साथ दूसरा स्थान मिला। जदयू को चिराग पासवान की लोजपा के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ा है। लोजपा को एक सीट पर जीत मिली, लेकिन उसने कम से कम 30 सीटों पर जदयू को नुकसान पहुंचाया।