विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के बाद अब सरकार भी मानने लगी है कि कोविड-19 की वजह से चालू वित्त वर्ष 2020-21 की विकास दर में गिरावट हो सकती है। मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यन ने गुरुवार को इस बात के साफ संकेत दिए। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास रिकवरी पर निर्भर करेगा और रिकवरी चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में भी हो सकती है या अगले साल भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस साल उत्पादन में गिरावट की उम्मीद है।
हालांकि, उन्होंने स्पैनिश फ्लू की तरह रिकवरी के बाद वी-शेप के विकास की भी उम्मीद जताई। सुब्रमण्यन ने कहा कि इस साल अप्रैल में चालू वित्त वर्ष के लिए 1.5-2 फीसद विकास दर का अनुमान लगाया जा रहा था। लेकिन अब कई अनिश्चितताएं हैं। राहत पैकेज एवं आत्मनिर्भर भारत को लेकर जो घोषणाएं हुई हैं, उन सबको ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्रालय आर्थिक विकास को लेकर आंतरिक मूल्यांकन कर रहा है।
हाल ही में रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा भारत की रेटिंग को कम करने के मामले में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि सभी रेटिंग एजेंसियों ने भारत की इंवेस्टमेंट ग्रेड को बरकरार रखा हैं। उन्होंने कहा कि भारत की देनदारी क्षमता पर कोई सवाल नहीं उठाया सकता है कि क्योंकि भारत उधार चुकाने की क्षमता एवं इच्छा दोनों रखता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि रेटिंग एजेंसी एसएंडपी और फिच ने अगले साल के लिए क्रमश: 8.5 फीसद और 9.5 फीसद की विकास दर का अनुमान लगाया है जो भारत के लिए अच्छी खबर है।