प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जनवरी को पश्चिम बंगाल के दौरे पर आ सकते हैं, जिसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले दिसंबर में केंद्र ने बोस की 125 वीं जयंती को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके तारकीय योगदान के रूप में मनाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली इस समिति में विशेषज्ञ, इतिहासकार, लेखक, बोस के परिवार के सदस्यों के साथ-साथ आजाद हिंद फौज से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति भी शामिल हैं।
यह पैनल 23 जनवरी, २०२१ से शुरू होने वाले एक साल के स्मरणोत्सव के लिए गतिविधियों पर फैसला करेगा । 2014 में केंद्र में सत्ता संभालने के बाद से मोदी सरकार ने सुभाष चंद्र बोस की विरासत को संरक्षित करने जैसे लाल किले में संग्रहालय स्थापित करने और उनसे संबंधित फाइलों का वर्गीकरण करने और उन्हें जनता के लिए सुलभ बनाने की दिशा में कई पहल की हैं। 2018 में अंडमान निकोबार में तीन द्वीपों- रॉस आइलैंड, नील आइलैंड और हैवलॉक आइलैंड का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस डीवीप, शहीद डीवीप और स्वराज डीवीप कर दिया गया।
अप्रैल-मई 2021 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी की पश्चिम बंगाल यात्रा का महत्व माना जा रहा है। भाजपा 2019 के आम चुनाव में 42 लोकसभा सीटों में से 18 में जीत से उत्साहित पश्चिम बंगाल के चुनावों में बड़ी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा दोनों ने पश्चिम बंगाल चुनाव में २०० से अधिक सीटें जीतने वाली पार्टी पर भरोसा जताया है ।
टीएमसी के पूर्व दिग्गज सुवेन्दु अधिकारी के पार्टी में शामिल होने को टीएमसी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। माना जा रहा है कि अधिकारी परिवार का प्रभाव कम से ५० विधानसभा क्षेत्रों में है । अधिकारी के अलावा पूर्व विधायक सिल्भद्र दत्ता, तापसी मोंडल, अशोके डिंडा, सुदीप मुखर्जी, सैकत पांजा, दीपाली बिस्वास, सुकरा मुंडा, श्यामापद मुखर्जी, बिस्वजीत कुंडू और बनासरी मैयत और टीएमसी सांसद सुनील मोंडल 19 दिसंबर को मिदनापुर में एक रैली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए थे।