भारत से सीमा पर तनाव के बीच चीन दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है। अब पूरी दुनिया में चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ उवाज उठने लगी है। दक्षिणी चीन सागर और फिलिपिन्स सागर में चीन की बढ़ती दखल के बाद अमेरिकी नौसेना भी अपने दो युद्धपोत रवाना कर दिए हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि चीन इस समय दक्षिण चीन सागर में युद्ध अभ्यास कर रहा है और अमेरिका के यहां आने पर युद्ध के हालात बन सकते हैं। अमेरिका ने यूएसएस रोनाल्ड रीगन और यूएसएस निमित्ज को नौसेना के सबसे व्यापक युद्ध अभ्यास के लिए दक्षिण चीन सागर में क्षेत्र में उतार दिया है। यूएस-चीन के व्यापार पर बढ़ते तनाव के साथ, कोविड-19 और हांगकांग में चीन की कार्रवाई के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि वे बीजिंग के नाजायज क्षेत्रीय दावों को चुनौती देना चाहते हैं। यूएसएस रोनाल्ड रीगन के स्ट्राइक समूह के कमांडर रियर एडम जॉर्ज ने कहा, “हमारा उद्देश्य सहयोगियों और मित्रों को एक स्पष्ट संकेत देना है कि हम क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीन दक्षिण चीन सागर में अपनी चाल को आगे बढ़ाते हुए महामारी के साथ अमेरिका के संघर्ष का लाभ उठाने का प्रयास कर सकता है। एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने 2016 में फैसला सुनाया कि समुद्र में चीन के दावे ‘जो अन्य आसियान देशों के साथ ओवरलैप हैं’ का कोई कानूनी आधार नहीं है। डब्ल्यूएसजे लिखते हैं कि चीन ने फैसले को खारिज कर दिया और अपने सैन्य शक्ति को यहां पर आगे बढ़ाया है। अमेरिका और चीन ने संचारों को बढ़ाकर दो देशों की नौसेनाओं के बीच अनजाने टकराव को रोकने के लिए 2014 में एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। लेकिन एशिया-प्रशांत क्षेत्र के एक विशेषज्ञ लिन कुओक ने कहा कि दोनों देशों के बीच बिगड़ते राजनयिक संबंधों ने अनिश्चितता को बढ़ा दिया है। आकस्मिक संघर्ष का जोखिम अभी भी आधे से नीचे है, लेकिन यह बढ़ रहा है।”