कोरोना महामारी के कारण देशभर में लगे लॉकडाउन के दौरान लाखों प्रवासी श्रमिक अपने-अपने घरों को लौट गए थे। हालांकि अब कई श्रमिक रोजगार की तलाश में एक बार फिर से वापस शहरों की तरफ लौटने लगे हैं। इसे लेकर हाल ही में एक सर्वेक्षण किया गया है, जिसमें यह तथ्य सामने आया है कि करीब दो-तिहाई श्रमिक गांवों में कौशल आधारित रोजगार के अभाव में या तो शहरों को लौट चुके हैं अथवा लौटना चाहते हैं।
श्रमिकों को लेकर किए गए इस सर्वेक्षण में करीब 4,835 परिवार शामिल हुए, जिससे यह जानकारी सामने आई है। यह अध्ययन आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम (भारत), ऐक्शन फॉर सोशल एडवांसमेंट, ग्रामीण सहारा, आई-सक्षम, प्रदान, साथी-यूपी, सेस्टा, सेवा मंदिर और ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन ने मिलकर किया है।
यह अध्ययन 24 जून से 8 जुलाई के बीच 11 राज्यों के 48 जिलों में 4,835 परिवारों के त्वरित आकलन पर आधारित है। इसमें पता चला कि 29 फीसदी प्रवासी शहरों में लौट चुके हैं और 45 फीसदी शहरों में वापस आना चाहते हैं।
अध्ययन में कहा गया, ‘गांवों में कौशल आधारित रोजगार के अभाव की बात सामने आई है, जिसके चलते अपने घरों को लौटे करीब दो-तिहाई प्रवासी या तो शहरों में वापस आ गए हैं या आना चाहते हैं।’
इसमें यह भी पता चला कि जो प्रवासी शहर लौटे हैं उनमें से 80 फीसदी से अधिक गांवों में मजदूरी का काम कर रहे थे, जो दिखाता है कि ग्रामीण इलाकों में कौशल आधारित रोजगार की कमी है। एक चौथाई से अधिक प्रवासी श्रमिक अब भी गांवों में रोजगार की तलाश में हैं।